दोस्ती बिना प्यार नही हो सकता !!! so aao pyaar kare i mean dosti kare.

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

प्यार क्या है {pyaar kya hai}

पति पत्नी
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दूसरों से प्रेम करने की शुरुआत पहले अपने से ही प्रेम करने से होती है। अपने से प्रेम करना हमेशा आत्ममुग्धता नहीं होती। यहाँ अपने से प्रेम करने का मतलब है, अपनी सभी खूबियों और कमियों के साथ अपने को बिना किसी शर्त के स्वीकार करना।

इसे सेल्फ इंप्रूविंग भी कहा जाता है। इसका मतलब यह भी है कि इससे हम अपने को बेहतर ढंग से जान पाते हैं। इसलिए अपने को निखारना आना चाहिए। इसका मतलब अपनी क्षमताओं और योग्यताओं में विश्वास करना। छात्रों को खुद को बेहतर बनाने के लिए इन आठ सीढ़ियों का इस्तेमाल चाहिए।

रचनात्मक आलोचना करें :
हर कोई अपना कटु आलोचक हो सकता है लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हर छात्र को अपनी आलोचना करनी आनी चाहिए। आप ऐसा संभव कर सकें तो बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं इसलिए अपने दिमाग में आ रहे नकारात्मक भावों को खत्म करें और रचनात्मक आलोचना करें।

माफ करें :
कई बार होता है कि छात्र अपनी पिछली गलतियों को नहीं भूलते और अपने को इसके लिए कभी माफ नहीं करते। यही कारण है कि वे किसी ट्रामा या ट्रेजेडी से कभी पूरी तरह उभर नहीं पाते। इसलिए जिस तरह हम दूसरों की गलतियों को सहजता से भूल जाते हैं, उन्हें माफ कर देते हैं, ठीक इसी तरह अपनी गलतियों के लिए अपने को भी माफ करना चाहिए। बस ध्यान रखें कि अब उस गलती को कभी न दोहराएं ।

ईमानदारी :
सच का सामना ईमानदारी से करें यानी अपने से कभी झूठ न बोलें। यदि आप अपने प्रति ईमानदार रहेंगे तो ही दूसरों के प्रति ईमानदार हो सकेंगे। यह बात करियर से लेकर दोस्ती तक में काम आती है। कई बार ऐसा होता है कि अनजाने में बोला गया छोटा सा झूठ हमेशा आपकी दोस्ती में दरार पैदा कर सकता है ।

अपने में विश्वास :
यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि हम सभी में कुछ खास हैं। हर छात्र में कुछ न कुछ खासियत होती है। इसलिए अपनी किसी भी क्षमता, कुशलता और योग्यता या किसी भी तरह की खासियत में विश्वास रखिए।

यारा सिली सिली :
याद रखिए कि जब आप बच्चे थे तो इस बात कि कभी चिंता नहीं करते थे कि आपके बारे में कौन, क्या सोचता है। इसलिए इस दुनिया का सामना एक बच्चे की तरह करें और बच्चों की तरह ही रिएक्ट करें। कभी बबल्स बनाएँ, कभी कोई गाना गुनगुनाएँ और कभी बच्चों की तरह फनी फेस बनाकर इस जिंदगी का मजा लें। गंभीरता कई बार जिंदगी का मजा किरकिरा कर देती है। एंजॉय द लाइफ विद स्माइल।

दूसरों को धन्यवाद दें :
हम हमेशा प्रार्थना करते हुए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि हमारी जिंदगी में सब कुछ अच्छा हो रहा है या कि हम स्वस्थ हैं, खुश हैं। इसलिए दूसरों को किसी अच्छे काम के लिए धन्यवाद दें। यह अपने से प्रेम का ही एक तरीका है। इससे आप एक बेहतर इंसान बनते हैं।

समय निकालें :
हमेशा छात्र करियर और प्रतियोगिता की आपाधापी में दौड़ते-हाँफते रहते हैं। आराम के लिए पर्याप्त समय निकालें। यह आपके जोश पर जबर्दस्त असर करता है। अपने पसंदीदा संगीत सुनें या वह करें, जिसमें आप भरपूर मस्ती कर सकते हैं।

जोखिम लें :
कई बार छात्र किसी तरह का जोखिम लेने से डरते हैं। वे चाहते हैं कि हमेशा आराम की स्थिति ही बरकरार रहे। याद रखिए जिंदगी में छोटे-मोटे रिस्क कभी किसी को नुकसान या आहत नहीं करते। इसलिए हमेशा कुछ अच्छा करने की कोशिश करें। यह आपका आत्मविश्वास बढ़ाता है। कई बार ऐसा होता कि आप कुछ ऐसा अलग कर जाते हैं जिसे करने से आप हमेशा कतराते थे। ऐसा करने से आपका डर खत्म हो जाता है।

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