राधा-कृष्ण
सखा भाव पर आधारित राधा-कृष्ण का प्रेम अमर है। कला की हर विधा में इस प्रेम का चित्रण मिलता है। असंख्य गोपियों के संग रास रचाने वाले, रुक्मणि-सत्यभामा के पति और मीरा बाई की भक्ति में रची-पगी रचनाओं के पात्र थे कृष्ण। खुद से बडी उम्र की राधा से उनके प्रेम को सामाजिक मान्यता मिली, यहां तक कि उनका नाम ही राधा के साथ लिया गया। वृषभानु की पुत्री राधा और कृष्ण के इस प्रेम ने कई मायनों में परंपराओं को तोडा था। महाकवि सूरदास के प्रभु, महाभारत में अर्जुन के मार्गदर्शक, राधा के शाश्वत प्रेमी और द्रौपदी की लाज बचाने वाले कृष्ण संभवत: स्त्री-पुरुष समानता के प्रबल पक्षधर भी थे। गोविंद दास, चैतन्य महाप्रभु और गीत गोविंद के रचनाकार जयदेव की रचनाओं में राधा-कृष्ण के इस प्रेम का चित्रण बखूबी मिलता है।
मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010
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