दोस्ती बिना प्यार नही हो सकता !!! so aao pyaar kare i mean dosti kare.

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

प्यार क्या है (pyaar kya hai )

मैंने कई भाषाओं में प्यार किया है
पहला प्यार
ममत्व की तुतलाती मातृभाषा में..
कुछ ही वर्ष रही वह जीवन में
दूसरा प्यार
बहन की कोमल छाया में
एक सेनेटोरियम की उदासी तक
फिर नासमझी की भाषा में
एक लौ को पकड़ने की कोशिश में
जला बैठा था अपनी अंगुलियां


एक परदे के दूसरी तरफ़
खिली धूप में खिलता गुलाब
बेचैन शब्द
जिन्हें होंठों पर लाना भी गुनाह था


धीरे-धीरे जाना
प्यार की और भी भाषाएं हैं दुनिया में
देशी-विदेशी


और विश्वास किया कि प्यार की भाषा
सब जगह एक ही है
लेकिन जल्दी ही जाना
कि वर्जनाओं की भाषा भी एक ही है


एक-से घरों में रहते हैं
तरह-तरह के लोग
जिनसे बनते हैं
दूरियों के भूगोल..


अगला प्यार
भूली-बिसरी यादों की
ऐसी भाषा में जिसमें शब्द नहीं होते
केवल कुछ अधमिटे अक्षर
कुछ अस्फुट ध्वनियां भर बचती हैं
जिन्हें किसी तरह जोड़कर
हम बनाते हैं
प्यार की भाषा

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